Hibatullah Akhundzada News: जीत, स्वतंत्रता और इस्लामी सिस्टम मुबारक… दूसरी बार दिखा तालिबान का सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह अखुंदजादा

अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, कड़ी सुरक्षा के बीच अखुंदजादा ने ईद-उल-फितर के अवसर पर अपने समर्थकों से बात की है। अखुंदजादा ने कंधार में ईदगाह मस्जिद में शनिवार को हजारों समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि “जीत, स्वतंत्रता और सफलता पर बधाई।” “इस सुरक्षा और इस्लामी व्यवस्था के लिए बधाई।” रिपोर्ट के अनुसार, अखुंदजादा नमाज के दौरान आगे से पहली लाइन में खड़ा था, उसने बिना लोगों की तरफ चेहरा किए अपनी ही जगह से लोगों को संबोधित किया।
मस्जिद को घेरे हुए थे तालिबान लड़ाके
इस दौरान तालिबान के लड़ाकों ने अखुंदजादा को घेर रखा था। किसी भी पत्रकार या आम नागरिक को तालिबान के सर्वोच्च नेता के पास जाने की इजाजत नहीं दी गई। दो घंटे तक चले इस कार्यक्रम के दौरान दो हेलीकॉप्टर मस्जिद के ऊपर मंडराते रहे। कंधार को तालिबान की जन्मस्थली माना जाता है। इस शहर में तालिबान के कई वरिष्ठ नेता रहते हैं, जिनमें अखुंदजादा के अलावा मौलाना अब्दुल गनी बरादर और रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब शामिल हैं।
कौन है हैबतुल्लाह अखुंदजादा
हैबतुल्लाह अखुंदजादा 2016 से तालिबान का सर्वोच्च कमांडर है। अखुंदजादा को इस्लामी कानूनी का बड़ा विद्वान भी माना जाता है। तालिबान के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों पर अंतिम फैसला हैबतुल्लाह अखुंदजादा ही करता है। 2016 में अचानक गायब होने से पहले हैबतुल्लाह अखुंदजादा दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान के एक कस्बे कुचलक में एक मस्जिद में पढ़ाया करता था। यहीं से वह तालिबान के संपर्क में आया और इस खूंखार आतंकी संगठन के शीर्ष पद पर पहुंचा। माना जाता है कि उसकी उम्र लगभग 60 वर्ष है और वह कंधार में गुप्त ठिकाने पर रहता है।
अखुंदजादा को मिली है अमीरुल मोमिनीन की उपाधि
अखुंदजादा को “अमीरुल मोमिनीन” के रूप में जाना जाता है। इसका अर्थ वफादारों के कमांडर होता है। अखुंदजादा को यह पदवी उनके समर्थकों ने दिया है। इससे पहले यह पदवी तालिबान संस्थापक मुल्ला उमर को भी दी गई थी। लो प्रोफाइल होने के बावजूद अखुंदजादा ने तालिबान को पूरे पांच साल तक जीत के लिए प्रेरित किया।